मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना हरियाणा सरकार की एक पहल है जिसके तहत राज्य में सबसे गरीब परिवारों की पहचान की गई है जिनकी सालाना आय 1,00,000/- रूपये से कम है। राज्य में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए अंत्योदय ग्राम उत्थान मेलों में ज़ोनल कमेटी द्वारा संबंधित विभागों की विभिन्न योजनाओं के बारे में परिवारों को बताया जाता है ताकि चिन्हित परिवार संबंधित योजना मंे पंजीकृत होकर अपनी आय बढ़ा सकें। इस योजना को सफल बनाने के लिए हरियाणा सरकार ने ‘‘नवोदयी साक्षरता योजना‘‘ के अंतर्गत स्वंयसेवकों की सेवाएं ‘‘सार्थियों‘‘ के रूप में लेने का निर्णय लिया है जिसके द्वारा प्रत्येक स्वंयसेवक अपने क्षेत्र के 20 परिवारों के साथ मिलकर एक ‘‘सार्थी‘‘ के रूप में उनका मार्गदर्षन करेगा/करेगी ताकि प्रत्येक परिवार की सालाना आय को न्यूनतम 1,80,000/- रूपये किया जा सके। अतः यदि आप इस योजना में ‘‘सार्थी‘‘ के रूप में कार्य करें।
हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग राज्य में स्कूली शिक्षा की देखरेख करता है। विभाग की परिकल्पना समान और गुणवत्तापरक स्कूली शिक्षा का सार्वभौमिकरण करना है। हरियाणा के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बच्चों के साथ भावुक वालंटियरों को जोड़कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से एक जानकार और सशक्त हरियाणा का निर्माण करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और सीखने के पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना । विभाग का मिशन संवैधानिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध समाज को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा के राष्ट्रीय और एकीकृत चरित्र को फिर से लागू करना है। शिक्षा विभाग लगातार शिक्षा के परिणाम को बढ़ाने और बच्चों की महत्वपूर्ण सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में कड़ी मेहनत कर रहा है।
स्कूल शिक्षण: प्राथमिक स्तर पर पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्राथमिक शिक्षक पढ़ाते हैं। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के पास आमतौर पर विद्यार्थियों की एक कक्षा होती है और वे पूरे शैक्षणिक सत्र के लिए कक्षा को विभिन्न विषय पढ़ाते हैं। माध्यमिक, उच्च एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर शास्त्रीय एवं मातृ भाषा(वर्नाक्यूलर) शिक्षक, प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक और स्नातकोत्तर शिक्षक जैसी विभिन्न श्रेणियों के विषय विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा स्कूल स्तर पर तैयार समय सारणी के अनुसार पढ़ाया जाता है।
सॉफ्ट कौशल प्रशिक्षण : सॉफ्ट स्किल्स व्यक्ति के चरित्र की विशेषताएं और व्यक्तिगत कौशल हैं जो किसी व्यक्ति के अन्य लोगों के साथ संबंधों को दर्शाते हैं। कार्यस्थल पर सॉफ्ट स्किल्स को हार्ड स्किल्स का पूरक माना जाता है जो किसी व्यक्ति के ज्ञान और व्यावसायिक कौशल को संदर्भित करता है।
7 सॉफ्ट स्किल्स जो आपको आज के वर्कफोर्स में चाहिए
सॉफ्ट स्किल्स ऐसी विशेषताएं हैं जो आपको दूसरों के साथ सार्थक बातचीत करने में सक्षम बनाती हैं। चूंकि अधिकांश नौकरियों के लिए टीम वर्क की आवश्यकता होती है, इसलिए अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाने और अपने सपनों की नौकरी हासिल करने के लिए सॉफ्ट स्किल्स का होना महत्वपूर्ण है।
अतिरिक्त्त पाठ्यक्रम गतिविधि : अतिरिक्त्त पाठ्यक्रम गतिविधियाँ किसी पाठ्यक्रम या शैक्षणिक कार्यक्रम में औपचारिक अध्ययन अनुभवों का विस्तार हैं। नाट्यशास्त्र, संगीत, नृत्य, ड्राइंग एवं पेंटिंग, मूर्तिकला, वाद-विवाद, भाषण, भ्रमण, प्रदर्शनियाँ आदि जैसी पाठयेतर गतिविधियाँ शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़ी हैं और विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रम की बेहतर समझ में मदद करने के लिए आयोजित या डिज़ाइन की गई।
कैरियर मार्गदर्शन : देश में विभिन्न दृष्टिकोणों का उपयोग करके मार्गदर्शन और परामर्श दिया जाता है जो कि आयोजित कार्यक्रमों (स्कूलों में) के प्रकार और मार्गदर्शन एवं परामर्श सेवाएं प्रदान करने में लगे व्यक्ति पर निर्भर करता है। प्रदान की जा रही सेवाओं के मद्देनजर इन दृष्टिकोणों को विशेषज्ञ दृष्टिकोण, कैरियर शिक्षक दृष्टिकोण और शिक्षक परामर्शदाता दृष्टिकोण में समूहीकृत किया जा सकता है।
वोकेशनल प्रशिक्षण: शिक्षा का व्यावसायीकरण उन व्यावहारिक विषयों या पाठ्यक्रमों का समावेशन करने को संदर्भित करता है जो विद्यार्थियों में कुछ मौलिक ज्ञान, कौशल और मनोवृत्ति उत्पन्न करेंगे जो उन्हें कुशल श्रमिक या उद्यमी बनने के बारे में सोचने के लिए तैयार करते हैं। यह सामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के बीच समन्वय स्थापित करने के एक उपकरण के रूप में कार्य करता है। वर्तमान में, यह योजना हरियाणा के 1074 स्कूलों में लागू की जा रही है और व्यावसायिक शिक्षा के तहत 12 विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 1,77,551 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है।
भारत युवाओं का देश है, इसकी 60 प्रतिषत से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। विश्व जनसांख्यिकी के बदलते परिदृष्य में भारत को विश्व की स्किल फैक्ट्री बनाने और जनसांख्यिकीय लाभांष का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा स्किलिंग को लेकर विभिन्न पहल की गई हैं। युवा किसी भी राज्य की पूंजी और स्तंभ हैं। इसलिए उन्हें कुषल बनाने के लिए, हरियाणा कौशल विकास मिशन (एचएसडीएम), विभिन्न कौशल पहलें लागू करने वाली नोडल एजेंसी है। यह उनके कौशल को ‘बढ़ाने और उन्नत करने’ पर ध्यान केंद्रित कर रही है और राज्य में कौषल विकास, उद्यमिता पहल और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के माध्यम से उनकी उत्कृष्टता के लिए प्रयास कर रही है। हम युवाओं के लिए एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए प्रयासरत हैं जो प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें अवसर प्रदान करेगा ताकि वे कुशल रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें और स्व-रोजगार उद्यम स्थापित कर बेहतर गुणवत्ता वाला स्थायी जीवन जी सकें।
एचएसडीएम के हरियाणा के सभी 22 जिलों में प्रशिक्षण केंद्र हैं और इनके माध्यम से जनता को कौषल प्रषिक्षण प्रदान कर भारत को स्किल फैक्ट्री बनाने में योगदान दिया जा रहा है। एचएसडीएम अपने प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से युवाओं को विभिन्न एनएसक्यूएफ संबद्ध पाठ्यक्रमों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस कौशल प्रमाणन योजना का उद्देश्य बड़ी संख्या में देष के युवाओं को उद्योग-संबंधित कौशल प्रशिक्षण में सक्षम बनाना है ताकि उन्हें बेहतर आजीविका प्राप्त करने में मदद मिल सके। पहले से ही कुछ सीखे होने के अनुभव या कौशल वाले युवाओं का मूल्यांकन किया जाता है और उन्हें पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) के तहत प्रमाणित किया जाता है।
एचएसडीएम वालंटियरों को अपनी विशेषज्ञता सांझा करने और हरियाणा को निम्नलिखित गतिविधियों के बीच एक कौशल केंद्र बनाने में अपना योगदान देने के लिए आमंत्रित करता हैः
तकनीकी कौशल प्रशिक्षण : तकनीकी कौशल वालंटियर विभिन्न क्षेत्रों में अपने तकनीकी ज्ञान को साझा करेंगे और उम्मीदवारों को उनसे संबंधित क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त करने में मदद देंगे। उम्मीदवारों को नवीनतम तकनीकी संसाधन प्रदान करने में मदद की जाएगी और उन्हें अपने संबंधित क्षेत्र में आधुनिक विकास के साथ अपडेट रखने के लिए साइबर संसाधन और इंटरनेट के उपयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा।
सॉफ्ट स्किल्स प्रशिक्षण: सॉफ्ट स्किल्स वर्तमान रोजगार परिदृश्य में सबसे महत्वपूर्ण कौशल है, इसलिए विभिन्न सॉफ्ट स्किल से संबंधित शिष्टाचार, साक्षात्कार कौशल, मौखिक और लिखित संचार कौशल आदि के बारे में समर्पित सेवक युवाओं को मदद और मार्गदर्शन देंगे और उनमें वर्तमान रोजगार की स्थितियों को संभालने का आत्म-विष्वास जगाएंगे।
उद्यमिता कौशल: रोजगार के अधिक स्रोत उत्पन्न करने और बेरोजगारी दर को कम करने के लिए, नए उद्यमियों का विकास महत्वपूर्ण है। वालंटियर स्थापित उद्यमियों के वास्तविक जीवन के अनुभवों को सांझा करेंगे और युवाओं को नौकरी तलाशने वाले के बजाय नौकरी प्रदाता बनने के लिए प्रेरित करेंगे।
कैरियर मार्गदर्शन :करियर काउंसलर वालंटियर्स छात्रों को उपलब्ध विभिन्न करियर विकल्पों से अवगत कराकर उनकी मदद करेंगे और उनमें से किसी एक को चुनने के लिए मार्गदर्शन करेंगे। इसके अलावा, वालंटियर उम्मीदवारों को खुद का व्यवसाय स्थापित करने के लिए विभिन्न विकल्पों की जानकारी देंगे और युवाओं को अपनी पसंद के करियर के अनुसार खुद को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेंगे।
हरियाणा सरकार मानती है कि शारीरिक गतिविधि और खेल, हरियाणा की संस्कृति और समाज के अभिन्न अंग हैं। खेल विभाग ने जनता को स्वास्थ्य और कुशलक्षेम को ध्यान में रखते हुए खेलों में उनकी भागीदारी सुनिष्चित करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। विभाग शारारिक गतिविधि और खेलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना चाहता है।
खेल वालंटियर की श्रेणियां इस प्रकार हैं:-
खेल कोच खेल में भाग लेने वाले व्यक्तियों को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने की दिशा में मदद करेगें। वे खिलाड़ी को निर्देष, सलाह और प्रोत्साहन प्रदान करेंगे। वे खिलाड़ी व टीम के लिए बुनियादी खेल रणनीतियां तैयार करेंगे और सिखाएंगे।
(1) फिजियोथिरेपिस्ट सहायता-फिजियोथिरेपिस्ट खिलाडियों को चोटों, बिमारी या अशक्तता से उबरने में मदद करेंगे। वे खिलाड़ी को अपनी ताकत और गति में सुधार करने और भविष्य में आने वाली समस्याओं को रोकने के लिए मार्गदर्शन करेंगें। वे चोट के कारण का निदान करने के लिए काम करेंगें, यदि आवश्यक हो तो वे व्यायाम की सिफारिश करेंगें।
(2) मनोवैज्ञानिक सहायता- मनोवैज्ञानिक, लाइसेंस प्राप्त मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर हैं जो सभी खेल विषयों के एथलीटों की सहायता करते हैं। वे एथलीटों की चोट के बाद उससे उबरने, चिंता से निपटने, प्रदर्षन में सुधार करने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगें। वे खिलाडियों की कठिनाईयों को दूर करने में मदद करने के लिए रणनीतियों को डिजाईन और कार्यान्वित करेंगें।
(3) पोषण संबंधी मार्गदर्शन: एक खेल पोषण विषेषज्ञ का प्रमुख कार्य एथलीटों को उनकी पोषण आवश्यकता, व्यायाम से ठीक होने, जलयोजन, वजन प्रबंधन और प्रतिरक्षा पर मार्गदर्शन करना है।
(4) खेल चोट सहायताःवे अपने ज्ञान और कौषल का उपयोग खेल की चोटों के ईलाज के लिए करेंगें तथा शारारिक तकनीकों और उपचारों की एक श्रृंखला का उपयोग करके उनसे उबरने में मदद करेगें। वे एथलीटों को मानसिक और शारारिक रूप से तैयार करने में मदद करेगें। जरूरत पड़ने पर वे मालिष और प्राथमिक उपचार देंगे।
वे किसी विषेष खेल आयोजन की तैयारी के लिए आवश्यक हर विवरण की योजना बनाने की जिम्मेदारी लेंगे। वे यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे कि एक खेल आयोजन बिना किसी रूकावट के सम्पन्न हों।
इवैन्ट मैनेजमैंट कैटेगरी में निम्नलिखित गतिविधियां होंगी।
(1) रेफरी-रेफरी की मुख्य भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि सभी खिलाड़ियों द्वारा खेल के नियमों का पालन किया जाए। एक रेफरी आवश्यकता अनुसार नियम की व्याख्या करेगा और सुनिष्चित करेगा कि सभी प्रतिभागी इन नियमों को समझें। रेफरी सुनिश्चित करता है कि यह नियम कब तोडे़ गए हैं और दण्ड का आकलन करता है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की प्रमुख भूमिका किसानों के बीच प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण करना और किसानों के कल्याण हेतू विभिन योजनाओं का कार्यान्वयन करना, बीज एवं उपकरणों पर सब्सिडी प्रदान करना, मिनी किट, प्रदर्शन का आयोजन करना, फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना, मृदा जल परीक्षण करना और मेरी फसल-मेरा ब्यौरा व मेरा पानी-मेरी विरासत पोर्टल पर किसानों का पंजीकरण करना है। किसानों में जागरूकता किसानों को लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसके लिए विभाग द्वारा किसान मेलों, किसान प्रशिक्षण शिविरों, किसान संगोष्ठियों, खेत दिवस, एक्सपोजर विजिट आदि के आयोजन जैसी व्यापक गतिविधियाँ की जाती हैं।
क्रमांक | गतिविधि | विवरण |
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1. | संबंधित विभाग उन श्रेणियों एवं उप-श्रेणियों की रूप-रेखा तैयार करेगा जहां स्वैच्छिक गतिविधियां की जा सकती है |
श्रेणी- विस्तार गतिविधियाँ उप श्रेणी-
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2. | समर्पित सेवक की मूलभूत योग्यताएं / आवश्यकताएं निर्धारित की जाएंगी |
स्मार्ट फोन संचालित करने में सक्षम और अच्छा संचार कौशल |
3. | संबंधित श्रेणियों में समर्पित सेवक की विशिष्ट भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को गतिविधियों के विवरण (द्विभाषी) के साथ परिभाषित किया जाएगा। |
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वन एवं वन्यजीव प्रकृति के तत्व और पर्यावरण के अविभाज्य अंग हैं। प्रकृति और मनुष्य के बीच अंतराफलक (इंटरफेस) की जटिल प्रकृति के कारण, लोगों के साथ प्रकृति संरक्षण पर एक केंद्रीय अवधारणा के रूप में पारस्परिक विचार-विमर्ष आवष्यक है। मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य होने के कारण, हरियाणा के कुल भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 3-62 प्रतिषत ही वन क्षेत्र है। इसमें वृक्षाच्छादित क्षेत्र को जोड़ दें तो हरियाणा के कुल क्षेत्रफल का 7-16 प्रतिषत है। लोगों और विशेषकर किसानों के सक्रिय सहयोग एवं भागीदारी के बिना वनों से इतर वृक्षाच्छादित क्षेत्र को बढ़ाया जाना संभव नहीं है। अतः, वन विभाग को 'वृक्षमित्र' कहे जाने वाले जन-उत्साही और पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों का एक ऐसा नेटवर्क विकसित करने की आवश्यकता है, जो किसी भी मौद्रिक लाभ या फायदे की उम्मीद के बिना स्वैच्छिक आधार पर वन विभाग के साथ कार्य करने के इच्छुक हैं।
पौधरोपण: पौधरोपण पृथ्वी को हरा-भरा, जीवंत और स्वस्थ बनाने की सर्वोत्तम गतिविधियों में से एक है। लगाए गए पेड़ हमारी जैव-विविधता में मदद करते हैं, ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखते हैं और हमें विभिन्न संसाधन प्रदान करते हैं। वृक्षों के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन के साथ-साथ अन्य प्रजातियों का अस्तित्व असंभव है। इसलिए, पेड़ लगाना प्रकृति का समर्थन करने का आदर्श तरीका है। एक बार पौधरोपण हो जाने के बाद, कार्य को समाप्त नहीं माना जाना चाहिए। पौधों के फलने-फूलने तक उनकी रक्षा और देखभाल करना आवश्यक है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता: पर्यावरण की रक्षा करना और भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी के सतत विकास को बढ़ावा देना मनुष्य का नैतिक दायित्व है। युवा पीढ़ी में भविष्य में कम कार्बन और जीवन के अनुकूल जलवायु के प्रति गहरी सामाजिक एवं पर्यावरणीय जागरूकता, उत्साह और ज्ञान है। युवा, विशेषज्ञ और विषय-वस्तु विशेषज्ञ पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने, शैक्षिक कार्यक्रम चलाने, पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने एवं अपनाने और आम जनता को प्रेरित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं।
प्राण वायु देवता: हरियाणा में वर्षों पुराने अनेक वृक्ष विद्यमान हैं, जिनका अपार सांस्कृतिक, धार्मिक, पारिस्थितिक और पर्यावरणीय महत्व है। ये पेड़ कम होते जाएंगे, तो पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और जो प्रजातियां उन पर निर्भर हैं, उनके विलुप्त होने का खतरा बन जाएगा तथा स्थानीय पारिस्थितिकी भी प्रभावित होगी। इन जीवित विरासतों की रक्षा के लिए, हरियाणा सरकार ने प्राण वायु देवता पेंशन योजना शुरू की है, जिसके तहत 75 वर्ष से अधिक उम्र के पेड़ों की रक्षा की जाएगी और उन्हें मानवता के लिए दी गई उनकी सेवाओं के लिए 2500 रुपये प्रति वर्ष की पेंशन राशि से सम्मानित किया जाएगा। पेंशन राशि को वृद्धावस्था पेंशन योजना के अनुपात में बढ़ाया जाता रहेगा।
सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों के कार्यान्वयन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, हरियाणा सरकार का प्रयोजन सामाजिक कार्यों में रुचि रखने वाले नागरिकों की भागीदारी सुनिष्चित करना है। सोषल ऑडिट समितियों का गठन विभिन्न स्तरों पर करने का लक्ष्य है जिसमें लोग काम और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में योगदान कर सकते हैं और इसमें सुधार के उपाय भी सुझा सकते हैं।
विकास कार्यों का ऑडिट: हरियाणा सरकार का प्रयोजन है कि अच्छी सूझबूझ वाले आम नागरिक अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकारी विकास एजेंसियों द्वारा किए गए विभिन्न विकास कार्यों के जमीनी स्तर के ऑडिट में भाग लें। विभिन्न स्तर की सोषल ऑडिट समितियों का गठन करने का प्रयोजन यह कि कोई भी अच्छी सूझबूझ वाले आम नागरिक स्वेच्छा से सुशासन सुनिश्चित करने में मदद करें।
ऑडिटेबल योजनाओ का ऑडिट: हरियाणा सरकार का प्रयोजन है कि अच्छी सूझबूझ वाले आम नागरिक अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा शुरू की गई विभिन्न ऑडिट योग्य योजनाओं के जमीनी स्तर के ऑडिट में भाग लें। सोषल ऑडिट समितियों का गठन करने का प्रयोजन यह है कि कोई भी अच्छी सूझबूझ वाला आम नागरिक स्वेच्छा से सुशासन सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।
हरियाणा सरकार के विभिन्न विभाग/बोर्ड/निगम/एजेंसियां राज्य के निवासियों के लिए विभिन्न योजनाओं और सेवाओं को लागू कर रही हैं। योजनाओं/सेवाओं को वर्तमान में संबंधित विभागों/बोर्डों/निगमों/एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। तथापि, ऐसे क्षेत्र/गतिविधियां हैं, विशेष रूप से प्रसव के अंतिम पड़ाव पर, जिसमें नागरिक समर्पित सेवक भी योगदान दे सकते हैं, ताकि इन योजनाओं/सेवाओं के माध्यम से प्राप्त परिणामों की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके। इनमें से कुछ क्षेत्र हैं: किसी योजना का सोशल ऑडिट, लाभार्थी की पहचान (विशेषकर विकलांग या वृद्धावस्था वाले), डेटा संग्रह / डेटा सत्यापन, योजना / कार्यक्रम की वकालत।
स्थानीय समिति के सदस्य के रूप में : स्थानीय समिति के समर्पित सेवक परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) में डेटा के भौतिक सत्यापन के लिए अपनाई जा रही डेटा सत्यापन प्रक्रिया में योगदान देंगे।
परिवार पहचान पत्र हरियाणा में रहने वाले परिवारों का सामान्य, व्यापक, विश्वसनीय और सटीक डेटाबेस है, जिसका उपयोग राज्य में विभिन्न लाइन विभागों द्वारा अपने संबंधित विभागों की कल्याण योजना और सेवा वितरण के लिए किया जा रहा है।
पीपीपी में डेटा सत्यापन इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन के दोहरे मार्गों का उपयोग करके किया जाता है, इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन में शामिल नहीं किए गए मामलों के लिए क्षेत्र सत्यापन किया जाता है। भौतिक/क्षेत्रीय सत्यापन एक इलेक्ट्रॉनिक उपयोगिता (वेब आधारित और साथ ही मोबाइल ऐप) के माध्यम से किया जाता है, जो विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए बनाई गई है, स्थानीय स्तर पर विशेष रूप से गठित टीमों द्वारा, जिन्हें स्थानीय समिति कहा जाता है, जिसमें विभिन्न सामाजिक समूहों के लोग शामिल होते हैं। एलसी सदस्य हैं: सरकारी अधिकारी जो टीम लीड के रूप में कार्य करते हैं; आईटी, 'समर्पित सेवक', 'सामाजिक कार्यकर्ता' और 'छात्र' के ज्ञान के साथ सीआरआईडी के साथ पंजीकृत 'स्थानीय ऑपरेटर'। प्रत्येक स्थानीय समिति सदस्य मूल्यांकन/सत्यापन के तहत डेटा का अपना आकलन देता है। इसलिए 'समर्पित सेवक' परिवार पहचान पत्र की डेटा सत्यापन प्रक्रिया में भाग लेकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
परिवार पहचान पत्र की डेटा सत्यापन प्रक्रिया के लिए स्थानीय समिति का 'समर्पित सेवक' सदस्य बनने के लिए किसी विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता नहीं है। हरियाणा का कोई भी निवासी, जो राज्य में सुशासन की दिशा में योगदान देने के लिए प्रेरित है, यहां समर्पण पोर्टल पर पंजीकरण कर सकता है। वह स्थानीय समिति के 'समर्पित सेवक' सदस्य के रूप में संचालन के लिए वरीयता की भौगोलिक स्थिति का भी संकेत दे सकता है। यह फायदेमंद होगा यदि 'समर्पित सेवक' उस स्थान का चयन करता है जिससे वह परिचित है क्योंकि सत्यापन के लिए कुछ डेटा तत्वों के मूल्यांकन की आवश्यकता होगी जिसके लिए स्थानीय ज्ञान उपयोगी होगा।
राशन मित्र : राशन डिपो मित्र क्लब के सदस्य राशन डिपुधारकों/उपभोक्ताओं/लाभार्थियों के समक्ष आ रही विभिन्न परेशानियों/ समस्याओं से सरकार को अवगत करवाएगें एवं यह सदस्य सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर राशन कार्ड धारकों की पात्रता के अनुसार आवश्यक वस्तुओं का समय पर वितरण, राशन डिपुओं के खुलने के समय तथा दुकान में एक प्रमुख स्थान पर दर, स्टाॅक बोर्ड तथा नोटिस बोर्ड पर सभी सूचनाओं के डिसप्ले इत्यादि बिन्दुओं पर नजर रखेंगें।
सर्वेक्षण में सहयोग : विभिन्न योजनाओं/सेवाओं के माध्यम से पात्र लाभार्थियों को योजना/सेवा/लाभ/सब्सिडी देने के लिए, सरकार को विभिन्न विभागों/एजेंसियों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के माध्यम से डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है। नागरिक समर्पित सेवक इस प्रक्रिया में योगदान दे सकते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.) की स्थिति को निरन्तर बनाए रखना और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में स्वच्छता के स्तर में सुधार करना और गांवों को ओ.डी.एफ.+ और शहरी स्थानीय निकायों को ओ.डी.एफ.++ बनाना है। स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्य को प्राप्त करने में समर्पित सेवक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जागरूकता: स्वच्छता के बारे जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है। स्वच्छता के बारे संगोष्ठी व चर्चा तथा प्रभातफेरी के आयोजन से इस दौरान खुले में शौच से बचने के लिए शौचालयों के उपयोग के महत्व, साबुन से हाथ धोने, खुले में गंदगी न फैलाने, बायोडिग्रेडेबल और गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे को अलग-अलग करने तथा घरेलू स्तर पर कचरे के सुरक्षित निपटान, एक बार प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने को बढ़ावा देने और कपड़े के थैलों के उपयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की जा सकती है।
क्षमता निर्माण: वालंटियर सफाईकर्मियों और अन्य हितधारकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का कार्य कर सकते हैं, जिसमें स्वच्छता, सड़कों और नालियों की उचित सफाई के साथ-साथ कचरे का संग्रह और सुरक्षित निपटान, कचरे को अलग करना और बायोडिग्रेडेबल कचरे का खाद बनाना, शौचालयों की रीट्रोफिटिंग पर मजदूर व राजमिस्त्री का प्रशिक्षण, लीच पिट्स और सोकेज पिट का निर्माण, कचरे का सुरक्षित निपटान, गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे का सुरक्षित निपटान शामिल हैं।
निगरानी: वालंटियर इस बात पर नजर रखते हैं कि निरंतर ओ.डी.एफ. स्थिति बनाए रखने के लिए कोई भी व्यक्ति खुले में शौच तो नहीं कर रहा है। यह भी निगरानी करना आवश्यक है कि सफाई कर्मचारी नियमित रूप से सड़कों और नालियों की सफाई कर रहे हैं। इस पर भी नजर रखी जानी चाहिए कि कोई भी खुले में कूड़ा न फेंके। इसके अलावा, अपने आप मल व कीचड़ निपटान करने वाले खुले में और जल निकायों में मल व कीचड़ का निपटान नहीं करें।
स्वच्छता मित्र की भूमिका और जिम्मेदारी निम्नानुसार हो सकती है: -
क्र.सं. | गतिविधि | स्वच्छता मित्र की भूमिका और जिम्मेदारी |
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1. | जागरूकता | निरंतर ओ.डी.एफ. स्थिरता व्यवहार के लिए सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए गतिविधियों में डोर टू डोर आउटरीच, वॉल पेनिंग, डिजिटल मीडिया का उपयोग करके प्रमुख संदेश सांझा करना, पैम्फलेट/पोस्टर आदि वितरित करना शामिल होगा
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2. | क्षमता निर्माण |
निम्नलिखित पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण:-
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3. | निगरानी |
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महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा द्वारा ‘बाल संरक्षण सेवाएं‘ नाम से एक केंद्र प्रायोजित योजना चलाई जा रही है। इस एक अंम्ब्रेला स्कीम के तहत देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले और कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के लिए विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। यह योजना हरियाणा राज्य बाल संरक्षण सोसायटी के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है। वर्तमान में, राज्य में 11 सरकारी गृह संचालित हैं जिनमें से 7 गृह कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के लिए हैं।
बाल मित्र : बाल मित्र कार्यक्रम के माध्यम से हम निम्नलिखित श्रेणियों के तहत उपरोक्त गृहों में रहने वाले बच्चों की देखभाल के लिए वालंटियरों को आमंत्रित करना चाहते हैं।
क्र.सं. | गतिविधि का नाम | वालंटियरों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां |
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1. | विषय-आधारित निजी शिक्षक |
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2. | पाठ्येतर गतिविधियां |
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3. | कौशल विकास (तकनीकी विशेषज्ञ) | हरियाणा के बाल देखभाल संस्थानों में रहने वाले बच्चों को कौशल विकास प्रदान करने के लिए समर्पित सेवको को आमंत्रित करना। आवश्यकता:
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4. | कौशल विकास (संचार विशेषज्ञ) |
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5. | मनोवैज्ञानिक सहायता | सीसीआई के बच्चों के समग्र विकास और उन्हें समाज के साथ पुनः जोड़ने के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना।
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6. | खेल प्रशिक्षण | इन गृहों में रहने वाले बच्चों के व्यक्तिगत विकास और उनमें खेल भावना पैदा करने के लिए उन्हें खेल प्रशिक्षण प्रदान करना। आवश्यकता:
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7. | चिकित्सा सहायता | इन गृहों में रहने वाले बच्चों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना जिसमें निम्नलिखित सहायता शामिल है:
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8. | पॉक्सो एक्ट के तहत व्यक्तियों को सहायता (अनुवादक, दुभाषिया और कानूनी वालंटियर) |
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9. | बाल संरक्षण, सुरक्षा और दुव्र्यवहार के बारे में जागरुकता | प्रावधानों के बारे में प्रभावशाली पहुंच और जागरुकता पैदा करना।
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सखी : महिला हेल्प लाइन 181 के माध्यम से संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता की जाती है। वन स्टाप सेंटर के माध्यम से 5 दिनों का आश्रय, मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श, कानूनी परामर्श, चिकित्सा सहायता जैसी सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
क्र.सं. | गतिविधि का नाम | वालंटियर की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां |
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1. | महिला हेल्पलाइन 181 जागरुकता प्रोत्साहन | महिला वालंटियरों के कत्र्तव्यः-
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पोशण सहायक : समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) योजना के तहत छः सेवाएं प्रदान की जा रही हैं जिनमें अनुपूरक पोशण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, रेफरल सेवाएं, स्कूल पूर्व अनौपचारिक षिक्षा और 0-6 वर्श के आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के पोशण तथा स्वास्थ्य में सुधार के लिए पोशण तथा स्वास्थ्य षिक्षा षामिल है। सामुदायिक परामर्ष, आहार विविधता, पोशण वाटिका का विकास, आयुश अंतःक्षेप योगा जैसे विभिन्न पोशण अंतःक्षेप कुपोशण और एनीमिया की रोकथाम में काफी मददगार हैं।
क्र.सं. | गतिविधि का नाम | वालंटियरों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां |
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1. | पोषण मार्गदर्शनध्परामर्श |
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2. | विकास निगरानी |
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3. | कौशल विकास |
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4. | योग सत्र |
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5. | पोशण वाटिका |
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